सुनो दोस्तों
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सच्चे दिन जाने वाले हैं,
खतरे फिर आने वाले हैं।
बिटिया के लिए शुरू रतजगे,
ऑफिस पट गिरने वाले हैं।
पालक पथ पर पहरा देते,
बच्चे घर आने वाले हैं।
राजडगर के क्षणिक छलावे,
रस्ते मुड़ जाने वाले हैं।
आँखें गिरवी रख दोगे तो,
सपने मर जाने वाले हैं।
एक रंगत की ज़िद से बस,
तिरंग उड़ जाने वाले हैं।
पाप-पुण्य जतलाने वालों,
मटके भर जाने वाले हैं।
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