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भीड़

सुनो दोस्तों
सुनो दोस्तों
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***** भीड़**********

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भीड़

भीड़ होती है |

यह टीम नहीं होती,

यह सेना भी नहीं होती |

भूसे के ढेर से

सुई खोजने में

जिन्हें रोमांच नहीं मिलता

वे भीड़ में

चरित्र खोजने में भिड़े हैं |

उनका कहना है –

भीड़ की चाल होती है,

चेहरा नहीं होता |

उसूलों की बात हो तो –

भीड़ में से

जो पहला करता है,

वो दूसरा करता है,

फिर तीसरा चौथा …..

समूची भीड़ वो ही करने लग जाती है |

आजकल भीड़ के

उसूल की ऊंचाई है –

कि यह भीड़ अकेले को जान से मार डालती है |

ये दिन,

भीड़ को प्रोत्साहन के दिन हैं |

ये दिन ,

भीड़ के तीर्थाटन के दिन हैं |

ये दिन,

भीड़ से सम्मोहन के दिन हैं |

ये दिन,

भीड़ द्वारा उच्चाटन के दिन हैं |

ये दिन,

भीड़ में मरण मारण के दिन हैं |

ये अच्छे दिन हैं |

इससे और अच्छे दिन आने वाले हैं,

भीड़ से भीड़ के भिड़ने के दिन गरमाने वाले हैं |

*************************०१/०७/२०१७

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