सुनो दोस्तों
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* बूंदों का परिवार नदी*
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मौजों का त्यौहार नदी है |
बूंदों का परिवार नदी है |
बदली को परबत चूमे तो ,
हो लेती शर्मसार नदी है |
कूल किनारे आँख मिलाते,
लहरों का अभिसार नदी है |
पल पल की तहजीब निराली,
सदियों का व्यवहार नदी है |
बोझा ढोते कुदरत थकती,
कुदरत का इतवार नदी है |
प्यास हमारे प्राण न हर ले,
रक्षा की दीवार नदी है |
न धरा नदी न पानी नदी,
इन दोनों का प्यार नदी है |
आखर के सागर में डूबे,
‘सुशीरंग’ की पतवार नदी है |
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