सुनो दोस्तों
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पानी में बहुत आग है
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पानी बहता है
सब कुछ भिगोता है
जब गुजर चुका होता है
तो, छोड़ जाता है आग |
पहले दाना भीगता है
फिर सूखता है
बाद में तिड़कता है
पेड़ हो जाने के लिए |
पहले मिट्टी भीगती है
फिर सूखती है
बाद में चिपकती है
पत्थर हो जाने के लिए |
सूखे सूखे पेड़
सूखे सूखे पत्थर
जब रगड़ते हैं आपस में
तो
अपनी खुश्की से
पैदा करते हैं
पानी की छोडी हुई आग |
और
समझते हैं
पहिली और आख़िरी बार
“आग निकालना है
तो
सूखना जरूरी है
जो है भीगे बगैर बड़ा कठिन”|
भीगने और सूखने के बाद ही
जान पाता है
कोई पेड़
कोई पत्थर
या
कोई वह
कि
पानी में बहुत आग है |
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