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मनुष्य

सुनो दोस्तों
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मनुष्य

जहां तक नज़र जाती है , बर्फ ही बर्फ | चमकदार रोशनी आ रही है या जा रही है, बर्फ की परत तय नहीं करने देती | उसके दस्ताने स्पेस सूट का ही हिस्सा है, हथेली के पीछे वाले भाग पर ही पूरा स्विच पेनल है | उसने स्विच को उंगली से हमेशा की तरह फीदर टच देने की बजाय अंगूठे से कुछ निर्दयता से दबा दिया और अगले पल हथेली हलके से झटककर सीने पर चिपका ली |

उसके दिमाग में हलचल मच गयी, “मशीनों के साथ भी वही शिष्टता बरतो  जो अपने लोगों के साथ स्वभावत: होती है” | तो, उसका यह बेढंगा एक्शन क्या धरतीवासियों के थॉट-ऑरबिट के असर में है ?

धरती के इस इलाके पर यहां के लोगों का भटकना करीब करीब नहीं के बराबर हुआ है | इसे ये लोग अन्टार्कटिका कहते हैं | एक सीढ़ी और कुछ पिरामिडीय पहाड़ों को लेकर ही धरतीवासी भारी उलझन में अटके हुए हैं | पर इसकी अपनी उलझन हो गयी कि इस जगह पर धरतीवासियों की इतनी कम आवाजाही के बावजूद उनकी थॉट ऑर्बिट इतनी स्ट्रांग कैसे हो गयी ?

लौटना जरूरी हो गया है, कदमों में तेजी आ गयी | एक पिरामीडीय चट्टानी पहाड़ की तरफ तेजी से लौट पड़ना सोच में कतई बाधा नहीं था | सीने पर हथेली टिकाने की मजबूरी लगातार कचौट रही है | इसने अपने अंगूठे की ओर देखा और सोचना फिर शुरू हो गया | सीने पर हथेली यानि पश्चाताप और पश्चाताप करने से मन की मलिनता साफ़ हो जाती है |

इस पिरामिड के अन्दर ऑपरेशन सेंटर है | पथरीली इन्ग्रेशन मेहराब को पहचानना आसान नहीं पर वहां से पेनल बटनों का दबाना शुरू हुआ तो तभी ख़त्म हुआ, जब एक कमरे में ठहरना संभव हुआ | बीच में कई दहलीजें पार हुई एक एस्केलेटर से कई एस्केलेटरों पर सरकना अलग अलग रोशनियों से गुजरना यह सब इतनी तेजी से बीत गया जैसे कोई फिल्म असामान्य तेजी से चला दी गयी हो |

उसने कमरे में सीधे “रे-वाश” का रुख किया | स्पेस सूट को एक रे-वाशिंग मशीन में सहेजकर रखा | फिर रे-शॉवर का स्विच ऑन करके उसके नीचे अपने आप को सीधा तान दिया | इन नम, गुनगुनी किरणों से भरी गयी ताजगी को उसने भरपूर महसूस किया | वार्ड रोब से एक बरमूडा और एक टी-शर्ट उसको काफी लगी |

रे-वाश से उसका बाहर निकलना और कमरे में उस दूसरे के कदम पड़ना एक साथ हुआ | दोनों की नज़रे मिली और दोनों चेहरे दिपदीपा गए |

“इतने जल्दी लौट……..अरे ! तुम्हारा चेहरा इस अर्थ-ग्लोब के फीमेल जैसा क्यों हारा हारा बुझा बुझा सा हो रहा है ? ”

“फूहड़ जोक !………पर..पर मैं दिक्कत में हूँ |”

“ओह, पार्डन मी.. वैसे क्या हुआ ? ”

“इस ग्लोब के आसपास ओज़ोन लेयर पतली हो रही है पर लोकल लोगों के थॉट-चर्निंग फ्यूम्स एक दूसरी लेयर बना रहे हैं,…….. ” उसने अपनी टी-शर्ट नीचे खींचते हुए कहा |

“तो….” उसने उसके कन्धों पर हाथ रखे |

“ये फ्यूम्स एक साथ वेव भी है और पार्टिकल भी ….”

“हां”

“ये नोइज पोल्यूशन की तरह स्पेस को गन्दा करते हैं और सेंसर सिस्टम पर दबाव भी ..डालते हैं, किसी भी स्पेसीज की विजडम को डिस्टर्ब कर सकते हैं…..  ”

उसने कन्धों से हाथ हटाकर उसके चिंताग्रस्त ओवल-शेप चेहरे को अपनी बड़ी बड़ी हथेलियों में भर लिया |

यह भी मुस्कराई, उसे लगा कोई कण या तरंग इस पल उन हथेलियों को पार नहीं कर सकती |

इसने उसे पूरी घटना बता दी, कैसे अंगूठे से स्विच दबाने में फीदर स्पर्श की जगह एक रूखी झुंझलाहट ने ले ली | अब चिंता यह है कि जिस कैम्पेन के लिए आये हैं उसमें ये थॉट फ्यूम्स कितनी बड़ी रुकावट बनेंगें | इनका रूकावट बनना मतलब हमारी अक्लमंदी हमारी दानिशमंदी को विपरीत ढंग से प्रभावित करना |

उसने यहाँ हौले से उसके गालों पर से हथेलियाँ हटाई पर तुरंत यहां इसकी नीली पुतलियाँ पलकों की सीमाओं से टकराती सी गोल गोल चारों ओर भागने लगी |

वह “बार” के सामने रुक गया | उसने एक एनर्जी ड्रिंक चुनी | यह बेचैनी को कंट्रोल करती है और याददाश्त को फिर से हासिल करती है | वह दो गिलास भरकर इसके सामने खड़ा हो गया |

“पहले आराम से बैठ जाओ,..इसे एक सांस में पूरा पी जाओ |”

उसने अपनी एनर्जी ड्रिंक ख़त्म की, इसने उसकी एनर्जी ड्रिंक ख़त्म की, गिलास को दोनों हथेलियों में इस तरह थामा जैसे गिरने से बचा रही हो | निश्चित ही यह बेचैनी और घबराहट दोनों की देह-भाषा है |

थरथराती आवाज में यह बोलने लगी- “धरतीवासियों के थॉट फ्यूम्स के असर में मैं आ चुकी हूँ, स्विच पेनल के साथ मेरी हरकत उसी वजह से हुई | रिग्रेट करने के लिए हथेली सीने पर रखी पर मन नहीं मान रहा है | मेरा ट्रीटमेंट करो, प्लीज |

वह उठा, उसके पीले पड़ते जा रहे गालों को थपथपाकर “डीवोल्युशन मशीन” की ऑपरेशन सीट पर बैठ गया | स्विच दबाते ही हवा में दूधिया रोशनी की एक स्क्रीन बिना किसी सहारे के लटक गयी | उसने घटना को जैसा का तैसा बोल दिया जिसने स्क्रीन पर इबारतों का रूप ले लिया | उसके “गो” बोलते ही पूरी कथा मेसेज बनकर उनके प्लेनेट पर पहुँच गयी, पल भर में वहां से आया एक जवाबी वाक्य स्क्रीन पर चमक उठा, “रिमैनिस ट्रीटमेंट शुरू करो”|

वह उठा फिर उसे उठाकर काउच पर बिठा दिया, खुद भी पालथी मारकर बैठ गया |

“मेरी तरफ देखो और मेरी तरह बैठो..”

इसने लटके पैरों को समेटा और पालथी मारकर अपना चेहरा उसकी तरफ करके बैठ गयी |

“इज इट रिमैनिस ?” यह फुसफुसाई |

उसने हौले से सिर हिलाकर स्वीकृति दी, फिर अपने तर्जनी और अंगूठे से उसके दोनों कानों के लटके सिरों को सहलाना शुरू कर दिया |

“ओह! रिमैनिस ! ओकेS..| तो चलो रिमाईंड करो, दिलाओ याद दिलाओ, मुझे |” वह जैसे खुद में डूबने लगी |

“हम मनुष्य हैं |” इतनी प्रामाणिक, इतनी सच्ची और इतनी विश्वसनीय रंगत इस बात की धरती पर पहली बार दिखाई दी | उसने बोलना जारी रखा |

”हम मनुष्य हैं क्यों कि हमें जन्म लेते ही पहली सांस के साथ प्रेम में रहना आ जाता है | प्रेम ब्रम्हांड की वह डोर है जो प्राणी प्राणी, पदार्थ पदार्थ और प्राणी पदार्थ को एक साथ पिरोये रखती है | प्रेम एक कॉस्मिक पर्यावरण है | अस्तित्व का दिखाई देना ओझल हो जाना प्रेम का उगना और अस्त होना नहीं है | सारी मौजूदगियाँ और गैरमौजूदगियाँ प्रेम में उदय होती हैं और अस्त होती हैं | हम मनुष्यों को पता है कि प्रेम की लिपि स्पर्श है छुअन है | टच में इनविटेशन है या बायकाट, इंस्पायरेशन है या इरीटेशन, पुल या पुश सब फील होता है, इसीलिये हम मनुष्य होते हैं… ”

“हाँ हाँ,…याद आ रहा है… ” इसके चेहरे से पीलापन छंटने लगा | जैसे खुद से बात कर रही हो, ”अपने सीने पर हथेली रखने से मेरी माफ़ी मेरा पछतावा एक दूसरे में शामिल नहीं हुए, मैं भूल गयी स्विच जोर से दबाना मेरी बेचैनी नहीं है क्यों कि कई बार बटन जोर से दबाना मशीन की भी जरूरत होती है, असली कारण है उसे दबाने के पीछे की निर्दयता | ”फिर इसने स्विच पेनल को बंद आँखों में देखते हुए अपनी हथेली अपने सीने पर रखकर नरमी से बुदबुदाई “सॉरी”|

पीलापन साफ़ हो गया था, एक गुलाबीपन ने दोनों गालों पर उभर उभर कर फैलना जारी रखा | इसके चेहरे पर दो दो सुबहों का नज़ारा बन गया | लेफ्ट मॉर्निंग, राईट मॉर्निंग |

उसने अपने दोनों अंगूठे, अप थम्स, उसके दोनों गालों पर टिकाकर फिर तुरंत हटाकर कहा “गुड मॉर्निँग्स”|

“मॉर्निँग्स ?” वह अचकचाई, फिर अंगूठों पर नज़र डालकर खिलखिलाकर हसंते हुए इसने उसके चेहरे पर चुम्बनों की बौछार कर दी |

चेहरे का गीलापन अपने गालों से रगड़कर सुखाते हुए बोली “अब मैं ठीक हूँ | पर क्या आगे भी ऐसा हो सकता है ?”

“नहीं | यह तभी हो सकता है जब हम धरतीवासियों को मनुष्य समझने की भूल रिपीट करते हैं |”

“पर उनका एकदम हमारे जैसा लगना हमें उलझा देता है,… ”

“कहाँ है हमारे जैसे ? हमारा डी एन ए आज़ादी है, और पर्यावरण है प्रेम | प्रेम ब्रम्हांड की वह डोर है, जो प्राणी प्राणी, पदार्थ पदार्थ, प्राणी पदार्थ को पिरोये रखती है | मनुष्य के स्तर पर उसकी फ्रीडम को बरकरार रखते हुए फ्रीडम के वेग से मनुष्य और मनुष्यता को जो ताक़त बचाए रखती है वह प्रेम है | हमारे डी एन ए और इनवायरनमेंट में आमना सामना है पर बड़ा ही दोस्ताना | धरती के ये दोपाये थनुष्य हैं, ओनली एंड ओनली मैमल्स | इनके डी एन ए और इनवायरनमेंट में हमेशा वैमनस्य है, निर्दयता है | यह कुदरत के साथ रहना सीखता नहीं है | कुदरत पर जीत को पुरुषार्थ और कुदरत से हार को भाग्य कहता है |”

“फिर तो इन मैमल्स में मेल और फीमेल के रिलेशन हम जैसे शायद नहीं होंगें ?” इसकी आँखों में फ़िक्र दिखाई दी |

“राईट | यहाँ मेल अपनी चाहत के लिए अपनी मर्जी का सब कुछ समेटना चाहता है, पर देने में आनाकानी करता है | किसी कमिटमेंट से भी बचता है | फीमेल के मन में जाने के लिए वक़्त और साधन दोनों खूब खर्च करता है | बदले में फीमेल अपना विश्वास सौंपती है जिसे ये लोग लगाव कहते हैं | तुम जानती हो, ब्रह्माण्ड के किसी भी प्लेनेट पर फीमेल कुदरत का पूरा पूरा पर छोटा संस्करण ‘कम्प्लीट मिनी एडिशन’ होती है | कुदरत का स्वभाव है हर अस्तित्व को रंग रूप देना यानि पहचान देना, उसे पाल पोस कर टिकाऊ बनाना | धरती पर भी फीमेल लगाव में हो कर इस कनेक्शन को ख़ास रंग रूप कोई नाम देना चाहती है लेकिन कमिटमेंट से कतराने वाला मेल बच निकलना चाहता है “प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो”| यहाँ प्रेम और आज़ादी विपरीतधर्मा है |”

“उफ़ ! इतना गैरकुदरती …” इसकी आवाज में दर्द घुल गया |

“हाँ, हमारा मिशन याद है ?”वह मुस्कुराया |

“हाँ हाँ , यहाँ के मेल को फीमेल के साथ रहना सिखाना | यह हमारे प्लेनेट का भरोसा है कि मेल जब फीमेल के साथ रहना सीख जाता है तो अपने आप बच्चों, बुजुर्गों और कमजोरों के साथ भी दोस्ताना हो जाता है | ग्लोबल सिटिज़न | ” यह भी मुस्कुरा दी |

“रिमैनिस ट्रीटमेंट कामयाब हुआ | रिमैनिस यानि याद दिलाना, कितना कारगर है यह ट्रीटमेंट, है न ? अब तुम्हारी मेमोरी परफेक्ट है ?”

“हां | हमारा मिशन है इन धरती के वाशिंदों को भी याद दिलाकर होश में लाना |”इसकी पतली आवाज पक्के इरादे से भरी है |

“यकीनन, फिर इससे ज्यादह बर्फ बहने से, ओजोन घटने से, हरियाली हटने से, एटम-न्यूक्लीयर फटने लोगों के बंटने से धरती नंगी नहीं होगी |”

“हाँ, मेरे मालिक! कनीज़ साये की तरह आपके साथ है ….  ”उलाहने बतौर यह बोली |

“बकवास, बिलकुल रबिश ! मालिक ..कनीज़, घटिया बात …. ” वह तमतमाया |

“क्यों, तुमने भी तो मुझे अर्थ-ग्लोब की फीमेल कहा था…. ”

“सॉरी”

“काउंटर सॉरी”

“हव्वा आदम, श्रद्धा मनु |”उसने धरती का स्मरण करते हुए अपने आप से कहा |

“इस बार .. साहब साहिबा” यह जैसे सारे संसार से बोली | भविष्य के प्रति पूर्ण आश्वस्त |

दोनों ठठाकर हंसते हुए एक दूसरे से लिपट गए |

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