सुनो दोस्तों
- 51 Posts
- 3 Comments
इबारतें
सभी चेहरे इबारतें हैं, जो भी झुर्रीदार हैं .
ये पैने सन्नाटे किसी आवाज के औजार हैं.
किन सांकलों से उन्होंने बाजू जकड रखे,
कि बाहों पे नहीं सांकलों पे उन्हें ऐतबार है.
वीरान बस्तियों में अजनबियत के खेमे,
ये तुर्श बेगानेपन नयी तलाश के आसार हैं .
आस्तीन से गिरेबां तक सरकते रहे वो,
न गर्द न लकीरें सही रफ़्तार के फनकार हैं.
Read Comments